आज का दिन स्पेस साइंस के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया है। भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने 9 महीने और 13 दिन के लंबे अंतरिक्ष मिशन के बाद धरती पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की। स्पेसएक्स के ड्रैगन यान के जरिए सुनीता विलियम्स और उनके साथी एस्ट्रोनॉट बुच विलमोर ने फ्लोरिडा के समुद्र तट पर वाटर लैंडिंग की। यह लैंडिंग न केवल भारत के लिए गर्व का क्षण था, बल्कि पूरी दुनिया के अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए एक नई दिशा का संकेत भी।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि स्पेसक्राफ्ट की लैंडिंग समुद्र में ही क्यों की जाती है? आखिर जमीन पर लैंडिंग क्यों नहीं होती? आइए, इसके पीछे के विज्ञान और NASA की रणनीति को समझते हैं।

सुनीता विलियम्स
सुनीता विलियम्स का अंतरिक्ष से सफल वापसी
सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर को स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल के जरिए अंतरिक्ष से वापस लाया गया। यह मिशन मूल रूप से एक सप्ताह के लिए था, लेकिन स्पेसक्राफ्ट में हीलियम लीक और थ्रस्टर फेलियर जैसी तकनीकी खराबी के कारण इन्हें 9 महीने तक अंतरिक्ष में रुकना पड़ा। अंततः 19 मार्च 2025 की सुबह, यह कैप्सूल फ्लोरिडा के समुद्र तट पर सुरक्षित उतर गया।
लैंडिंग के बाद सुनीता विलियम्स ने कैप्सूल से बाहर आकर हाथ हिलाकर सभी का अभिवादन किया। NASA के अनुसार, सभी एस्ट्रोनॉट्स की हालत स्थिर है। यह उपलब्धि न केवल भारत के लिए गर्व का क्षण है, बल्कि पूरी दुनिया के लिए अंतरिक्ष अनुसंधान में एक नया मील का पत्थर साबित हुई है।

सुनीता विलियम्स
समुद्र में लैंडिंग क्यों? NASA ने बताई वजह
जब कोई स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष से वापस आता है, तो उसे पानी में उतारा जाता है। इस प्रक्रिया को “स्प्लैश डाउन” कहा जाता है। NASA ने इस मिशन के लिए 7 संभावित स्प्लैश डाउन साइट्स चुनी थीं, जिनमें से 3 गल्फ ऑफ मेक्सिको और 4 अटलांटिक महासागर में थीं। फ्लोरिडा का अटलांटिक तट इसके लिए सबसे उपयुक्त माना गया।

सुनीता विलियम्स
समुद्र में लैंडिंग के फायदे:
- सुरक्षा: पानी में लैंडिंग से झटके का प्रभाव कम होता है, जिससे एस्ट्रोनॉट्स सुरक्षित रहते हैं।
- तापमान नियंत्रण: वायुमंडल में प्रवेश करते समय स्पेसक्राफ्ट का तापमान 1650 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। पानी में उतरने से यह तुरंत ठंडा हो जाता है।
- कम खर्च: जमीन पर लैंडिंग के लिए रनवे और अन्य संसाधनों की आवश्यकता होती है, जो महंगा हो सकता है।

सुनीता विलियम्स का भारत से गहरा नाता
सुनीता विलियम्स भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री हैं। उनका जन्म गुजरात के महसाना जिले के जलास गांव में हुआ था। उनकी सफल वापसी पर गांव में जश्न का माहौल था। ग्रामीणों ने पटाखे फोड़कर और मिठाइयां बांटकर इस उपलब्धि का जश्न मनाया।
सुनीता विलियम्स आध्यात्मिक प्रवृत्ति की हैं। वह अपने साथ हमेशा भगवान गणेश की मूर्ति और भगवद् गीता लेकर जाती हैं। इस मिशन पर भी वह अंतरिक्ष में भगवान गणेश की मूर्ति लेकर गई थीं।

सुनीता विलियम्स
लैंडिंग के बाद क्या होता है?
लैंडिंग के तुरंत बाद, राहत टीमें कैप्सूल को पानी से निकालती हैं। एस्ट्रोनॉट्स को मेडिकल जांच के लिए ले जाया जाता है। इसके बाद उन्हें NASA के ह्यूस्टन स्थित जॉनसन स्पेस सेंटर भेजा जाता है, जहां वे अपने परिवार से मिल सकते हैं।
डॉल्फिन का स्वागत
लैंडिंग के दौरान एक दिलचस्प घटना हुई। जब सुनीता विलियम्स का कैप्सूल समुद्र में उतरा, तो कई डॉल्फिन मछलियों ने उसे घेर लिया। यह नज़ारा सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ।

प्रधानमंत्री मोदी का संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुनीता विलियम्स को एक पत्र लिखकर उनकी सफलता पर बधाई दी। उन्होंने कहा, “जब आप ठीक हो जाएंगी, तो भारत आइए। हम आपका स्वागत करने के लिए तैयार हैं।”

निष्कर्ष
सुनीता विलियम्स की सफल वापसी ने भारत को गर्व से भर दिया है। समुद्र में लैंडिंग की प्रक्रिया ने एक बार फिर NASA की तकनीकी कुशलता को साबित किया है। यह मिशन न केवल अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए, बल्कि मानवता के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि है।
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