Indian Stock Market: आज भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट क्यों आई? जानिए प्रमुख कारण

भारतीय शेयर बाजार (Indian Stock Market) ने मंगलवार को एक बार फिर निवेशकों के दिलों की धड़कनें बढ़ा दीं, जब प्रमुख बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी में 1% से अधिक की तेज गिरावट दर्ज की गई। इस भारी बिकवाली ने निवेशकों की संपत्ति में 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान पहुंचाया, जिससे बाजार में हड़कंप मच गया। आखिर क्या कारण हैं कि Indian Stock Market इस तरह गोता लगा रहा है? वैश्विक आर्थिक उथल-पुथल से लेकर भू-राजनीतिक तनाव तक, कई कारकों ने मिलकर इस गिरावट को जन्म दिया। इस लेख में, हम उन पांच प्रमुख कारणों की पड़ताल करते हैं, जिन्होंने Indian Stock Market को अस्थिर कर दिया।

भारतीय शेयर बाजार में तेज गिरावट

दोपहर 2:20 बजे तक, बीएसई सेंसेक्स 1,315 अंक या 1.59% गिरकर 81,114 पर और निफ्टी 358 अंक या 1.44% गिरकर 24,565 पर पहुंच गया। दिन के अंत तक सेंसेक्स 1,282 अंक या 1.55% की गिरावट के साथ 81,148.22 पर और निफ्टी 346 अंक या 1.39% की गिरावट के साथ 24,578.35 पर बंद हुआ।

अब सवाल यह उठता है कि आखिर Indian Stock Market में इतनी बड़ी गिरावट क्यों आई?

वैश्विक बाजारों की गिरावट का असर

Indian Stock Market का प्रदर्शन अक्सर वैश्विक बाजारों की दिशा से प्रभावित होता है। 13 मई को एशियाई बाजारों में बड़ी गिरावट देखने को मिली। खासकर, जापान का निक्की 225 इंडेक्स 12.4% तक लुढ़का — जो 1987 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट थी। इसके अलावा, हांगकांग का हैंगसेंग और दक्षिण कोरिया का कोस्पी भी गहरे लाल निशान में रहे। इन सबका सीधा असर भारतीय बाजारों पर पड़ा और निवेशकों ने डर के माहौल में बिकवाली शुरू कर दी।

अमेरिकी अर्थव्यवस्था की कमजोरी

अमेरिकी बाजारों से मिले कमजोर आर्थिक आंकड़ों ने वैश्विक स्तर पर मंदी की आशंकाओं को बढ़ा दिया। जुलाई में अमेरिका में सिर्फ 1.14 लाख नौकरियां जुड़ीं, जबकि अनुमान 1.75 लाख का था। इसके साथ ही बेरोजगारी दर 4.3% तक पहुंच गई, जो पिछले 3 वर्षों में सबसे अधिक है। इससे दुनिया भर के निवेशक सतर्क हो गए और उन्होंने Indian Stock Market जैसे उभरते बाजारों से पैसे निकालना शुरू कर दिया।

भू-राजनीतिक तनाव का असर

मध्य पूर्व में चल रहे भू-राजनीतिक तनाव ने भी बाजार को अस्थिर किया। युद्ध की आशंकाएं और क्षेत्रीय अस्थिरता के चलते कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आया। भारत जैसे देश, जो तेल आयात पर निर्भर हैं, पर इसका सीधा आर्थिक दबाव पड़ता है। इस स्थिति में निवेशकों ने सुरक्षित निवेश विकल्पों की ओर रुख किया और Indian Stock Market से दूरी बनाई।

येन कैरी ट्रेड में उलटफेर

जापान के सेंट्रल बैंक द्वारा ब्याज दरों में की गई बढ़ोतरी ने येन कैरी ट्रेड को बुरी तरह प्रभावित किया। इस ट्रेड में निवेशक कम ब्याज पर येन उधार लेकर ऊंचे रिटर्न वाले देशों में निवेश करते हैं, जैसे कि भारत। लेकिन ब्याज दर बढ़ने के कारण इस ट्रेड में जोखिम बढ़ गया, और निवेशकों ने अपने फंड तेजी से निकालने शुरू कर दिए। इससे Indian Stock Market में विदेशी निवेश की भारी निकासी हुई।

सेक्टोरल कमजोरी और चौतरफा बिकवाली

मंगलवार को बाजार में सिर्फ इंडेक्स नहीं, बल्कि स्मॉलकैप और मिडकैप स्टॉक्स भी बुरी तरह टूटे। BSE स्मॉलकैप इंडेक्स 4.21% और मिडकैप इंडेक्स 3.60% गिरा। इसके साथ ही रियल्टी, यूटिलिटीज, सर्विसेज और कैपिटल गुड्स जैसे सेक्टर्स में 4% से अधिक की गिरावट देखने को मिली। यह बिकवाली चौतरफा थी और इसका असर पूरे Indian Stock Market पर पड़ा।

निष्कर्ष

13 मई 2025 को Indian Stock Market में जो भारी गिरावट देखी गई, वह किसी एक कारण से नहीं बल्कि कई अंतरराष्ट्रीय और घरेलू कारणों के संगम से आई।

वैश्विक बाजारों की अस्थिरता, अमेरिका की आर्थिक कमजोरी, भू-राजनीतिक तनाव, येन कैरी ट्रेड की गड़बड़ी और सेक्टोरल दबाव — इन सभी कारणों ने मिलकर निवेशकों को 1.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया।

हालांकि यह गिरावट एक चेतावनी है, परंतु दीर्घकालिक निवेशकों के लिए यह सही मूल्यांकन का अवसर भी हो सकता है। अब आगे Indian Stock Market की दिशा मुख्य रूप से वैश्विक आर्थिक संकेतों और नीतिगत निर्णयों पर निर्भर करेगी।

डिस्क्लेमर

यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी प्रकार की निवेश सलाह नहीं है। Indian Stock Market में निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य करें। बाजार में उतार-चढ़ाव सामान्य हैं और हर निर्णय सोच-समझकर लें।

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