Sunil Gavaskar: सुंदर-जडेजा का संघर्ष याद रहेगा हैरी ब्रुक की 37 किमी/घंटा बॉल नहीं एलिस्टेयर कुक ने स्टोक्स को आईना दिखाया

Sunil Gavaskar भारत और इंग्लैंड के बीच खेला गया मैनचेस्टर टेस्ट मुकाबला क्रिकेट इतिहास के यादगार मैचों में शामिल हो गया है। जब लग रहा था कि मैच ड्रॉ होगा, तभी आखिरी दिन के आखिरी ओवरों में कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरी बहस का रुख ही बदल दिया। भारतीय बल्लेबाज़ वॉशिंगटन सुंदर और रवींद्र जडेजा ने शतक के करीब पहुंचने के बावजूद मैच खत्म करने से इनकार कर दिया और यही बना विवाद की जड़।

Sunil Gavaskar

स्टोक्स का ऑफर और भारतीयों का ठुकराना

बेन स्टोक्स ने भारतीय खिलाड़ियों को ड्रॉ घोषित कर मैच समाप्त करने का प्रस्ताव दिया। लेकिन सुंदर और जडेजा, दोनों अपने-अपने शतक के करीब थे और उन्होंने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया। इससे इंग्लैंड खेमे में खलबली मच गई। खिलाड़ियों जैसे बेन डकेट, ज़ैक क्रॉली, जो रूट और हैरी ब्रुक ने तंज कसे और मज़ाक उड़ाना शुरू कर दिया।

हैरी ब्रुक की धीमी गेंदों का तमाशा

बेन स्टोक्स ने गेंदबाजी में हैरी ब्रुक और जो रूट को लगाया, जिनका उद्देश्य गेंदबाजी से ज्यादा समय निकालना था। खासकर ब्रुक ने तो 37 किमी/घंटा की रफ्तार से गेंदें डालीं जो क्रिकेट की गंभीरता पर सवाल खड़ा करती हैं। लेकिन सुंदर और जडेजा ने इन हालातों में भी संयम रखा और अपने-अपने शतक पूरे किए।

एलिस्टेयर कुक का बयान – भारतीयों के समर्थन में

पूर्व इंग्लैंड कप्तान एलिस्टेयर कुक ने इस मुद्दे पर भारतीय खिलाड़ियों का समर्थन करते हुए कहा, “जब आप मैदान पर 140 ओवर तक रहते हैं, तो निराशा होती है। लेकिन भारत ने जो किया वो बिल्कुल सही था।” उन्होंने आगे कहा, “पांच साल बाद स्कोरकार्ड पर दो शानदार शतक नजर आएंगे, न कि हैरी ब्रुक की धीमी गेंदें।”

🇮🇳 भारत की शानदार वापसी

मैनचेस्टर टेस्ट के चौथे दिन भारत ने 0/2 के स्कोर से शुरुआत की थी। शुरुआती दो विकेट बिना खाता खोले गिर चुके थे। लेकिन फिर केएल राहुल और शुभमन गिल ने पारी को संभाला। गिल ने चौथा शतक लगाया जबकि राहुल 90 पर आउट हुए।

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जडेजा-सुंदर की 203 रन की दीवार

जब गिल आउट हुए, तब लग रहा था कि भारत फिर मुश्किल में फंस सकता है। लेकिन जडेजा और सुंदर ने मिलकर एक 203 रन की अटूट साझेदारी की, जिससे भारत ने मैच में न सिर्फ वापसी की बल्कि सम्मानजनक ड्रॉ भी हासिल किया।

क्रिकेट की ‘स्पिरिट’ पर पुराना इतिहास – Sunil Gavaskar का उदाहरण

Sunil Gavaskar भी अपने दौर में ऐसे ही विवादों का सामना कर चुके हैं। एक बार जब अंपायर के फैसले से नाराज़ होकर उन्होंने मैदान छोड़ने की चेतावनी दी थी, तब भी खेल भावना पर सवाल उठे थे। लेकिन समय के साथ सभी ने माना कि गावस्कर ने आत्मसम्मान और देश के लिए खड़ा होकर सही किया था — ठीक वैसे ही जैसे आज सुंदर और जडेजा ने किया।

निष्कर्ष: खेल भावना का सही अर्थ

क्रिकेट सिर्फ खेल नहीं, आत्मबल और सम्मान का भी प्रतीक है। सुंदर और जडेजा ने साबित कर दिया कि विरोधियों की चालों के आगे झुकना जरूरी नहीं। Sunil Gavaskar से लेकर आज के भारतीय खिलाड़ी तक, जब बात सम्मान की हो — भारतीय कभी पीछे नहीं हटते।

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